हिंगलाज माता मंदिर छिन्‍दवाड़ा | Hinglaj Temple Chhindwara

 श्री श्री मां हिंगलाज शक्ति पीठ मोहन कालरी अंबाड़ा, छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश

भारत में मध्‍यप्रदेश राज्‍य के छिन्‍दवाड़ा शहर और परासिया तहसील के कोयलांचल क्षेत्र अंबाड़ा में मां हिंगलाज का वास है। हिंगलाज माता के पूरी दुनिया में मात्र दो ही मंदिर है। एक मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है, और दूसरा छिंदवाड़ा जिले के अंबाड़ा क्षेत्र में है।

हिंगलाज माता मंदिर छिन्‍दवाड़ा | Hinglaj Temple Chhindwara

भक्‍तों में यह विश्‍वास है कि मां के दरबार में लगाई गई हर अर्जी पूरी होती है। हिंगलाज मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। मान्‍यता है कि जो माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है, उसे पूर्व जन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता। यहां मां हिंगलाज का भव्य एंव सुंदर मंदिर है। यहां आकर मन को शान्ति का अनुभव होता है। प्रतिदिन बड़ी संख्‍या में भक्‍त मां के दर्शन के लिये यहां पहुंचते है। हिन्‍दु नववर्ष और नवरात्र में यह संख्‍या कई गुना अधिक हो जाती है।

    हिंगलाज माता मंदिर

    जब आप हिंगलाज माता के दर्शन के लिये आते है तब कुछ दूरी से ही मंदिर दिखने लगता है। मंदिर मे आने पर सबसे पहले आपको विशाल प्रवेश द्वार दिखाई देता है। हिंगलाज मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही खूबसूरत हैं। मंदिर के इस प्रवेश द्वार में दो शेर की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। साथ ही कुछ अन्‍य प्रतिमाओं के दर्शन भी प्रवेश द्वार पर होते है।

    आने वाले श्रद्धालु अपने चरणों को धोकर मंदिर परिसर में प्रवेश करे इस हेतु मंदिर के प्रवेश द्वार पर करीब 1 फीट गहरा सीमेंटेड कुंड बनाया गया है, जो कि पानी से भरा रहता है। प्रवेश द्वार के पास ही आपको पूजा-अर्चना के लिये पूजन सामग्री की कई दुकाने मिल जाती है।

    हरियाली के बीच बने मार्ग से चलते हुए जब आप आगे बढ़ते है, तब दो हाथी की मूर्तियां आपका स्‍वागत करती हैं। साथ ही सुंदर बगीचा और अन्‍य जानवरो की मूर्ति भी आसपास दिख जाती है। आगे बढ़ने पर मंदिर का नक्‍शा भी दिखता है। यहां से आगे चलते हुए आप मंदिर तक पहुंचते है।

    मंदिर में मां हिंगलाज की सुन्‍दर प्रतिमा है। स्‍वयं भू प्रतिमा के दर्शन भी मंदिर में होते है। हिंगलाज मां के मंदिर में चारों ओर आइने लगाए गए है। जिससे हर ओर मातारानी के दर्शन होते है। यह मंदिर की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देता है। मां हिंगलाज भक्तों की समस्त मनोकामना को पूर्ण करती है, जो भी भक्त सच्चे मन से पूरे विश्वास के साथ मनोकामना मांगता है, माता उसे अवश्य पूरी करती है।

    मंदिर प्रांगण

    मंदिर प्रांगण में कई अन्‍य मंदिर भी है। यहां पर शीतला माता का मंदिर, नवग्रह वाटिका, मां दुर्गा मंदिर, खेड़ापति मंदिर, श्री राम दरबार आदि है।  मंदिर के सामने ही नारियल फोड़ने और मन्नत के धागे बांधने के लिए स्थान है। जहां पर भक्‍त पूजा-अर्चना कर मां जगदंबा से मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। परिसर में विशाल यज्ञ शाला भी है।

    हिंगलाज मंदिर का परिसर बहुत बड़ा है। मंदिर परिसर में पार्क भी है। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, फिसलपट्टी आदि है। पार्क में बच्‍चे ओर यहां पहुंचे सभी दर्शनार्थी मस्ती और मनोरंजन करते हुए आनंद का समय व्यतीत करते हैं।

    मंदिर परिसर हरियाली से परिपूर्ण है। यहां पर कई विशाल वृक्ष भी हैं जो कि छाया और ठंडी हवा प्रदान करते है। मन को असीम शांति भी प्राप्त होती है। मंदिर परिसर में कैंटीन, हॉल, रुकने के लिए रूम और खाना बनाने की पर्याप्‍त व्यवस्था है।

    हिंगलाज मंदिर का इतिहास

    राजस्थान के काठियावाड़ के जो राजा थे उनकी कुलदेवी माता हिंगलाज थी। ऐसा बताया जाता है कि काठियावाड़ जिले में ही मां हिंगलाज स्वयं प्रकट हुई। हिंगलाज माता को काठियावाड़ के राजा की कुलदेवी माना जा था। समय बहुत बलवान होता है, समय की मार ऐसी हुई कि राजा के वंशजों को जीविकोपार्जन के लिए मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में आना पड़ा और यहां कोयलांचल क्षेत्र में ही उन्होंने मां हिंगलाज की प्राण प्रतिष्ठा की।

    बात लगभग सन् 1960 के आसपास की है। उस समय वहां के अंग्रेज मालिक ने माता रानी की प्रतिमा को हटाने का बहुत प्रयास किया, पर वह अपने हर प्रयास में असफल रहा। मजदूरों की तमाम कोशिशों के बाद भी मूर्ति हिली नहीं। उसने जितने भी प्रयास किए वह निरर्थक रहे वह असफल ही हुआ।

    रात्रि मे जब वह सो रहा था तब मां हिंगलाज ने उस अंग्रेज के सपने में आकर प्रतिमा को वहां से न हटाने के लिये आदेशित किया। लेकिन अंग्रेज अफसर भी बहुत हटी और अहंकारी था। उसने माता हिंगलाज की यह बात नहीं मानी और इस सपने को वह सामान्य सपने की तरह समझने लगा। अगले दिन उसने पुनः माता रानी की प्रतिमा को हटाने का आदेश दिया और माइंस के अंदर घूमने चला गया। उसके आदेश पर मजदूर प्रतिमा हटाने का प्रयास कर रहे थे, उसी समय माईंस मे एक घटना घटी। माईंस में पत्थर के खिसकने से अंग्रेज अफसर की वही दबकर मृत्यु हो गई।

    तब से ही माता की शक्ति और चमत्कार को देखकर सभी भक्तों ने माता के चरणों में शरण ली। कुछ समय बाद माता रानी की प्रतिमा जंगल में एक इमली के पेड़ के नीचे प्रकट हो गई। उसी स्थान पर भक्तों ने माता के मंदिर का निर्माण किया।

    इमली के जिस पेड़ के नीचे माता रानी स्वयंभू प्रकट हुई, उस स्थान पर पहले मडि़या बनी, उसके बाद सन् 1984 में मां हिंगलाज का भव्य मंदिर बनाया गया। फिर सन् 2002 के पश्चात् इस मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया।

    मां हिंगलाज की महिमा अपार है। देवताओ और ऋषि  मुनियों ने भी माता के दर्शन कर स्‍वयं को पाप मुक्‍त किया है। कहा जाता है कि परशुराम जी ने 21 बार पृथ्‍वी से क्षत्रियों का अंत किया था, ऐसे में बचे हुए क्षत्रिय मां हिंगलाज की शरण में गए और अपनी रक्षा की गुहार लगाई तब माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रीय बना दिया। मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद ब्रह्म हत्या से मुक्ति के लिए भगवान राम ने भी माता हिंगलाज की यात्रा कर दर्शन किए थे और यज्ञ भी किया था।

    हिंगलाज मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार

    हिन्दू नव वर्ष, चैत्र व कुवार नवरात्र के दौरान मां हिंगलाज के दर्शन करने अम्बाड़ा स्थित हिंगलाज मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मां हिंगलाज के प्रति लोगों की आस्था इस कदर है कि नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त माता के दर्शन कर पुण्य लाभ और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। साथ ही नवरात्र में हजारों की संख्या में अखंड ज्योति कलश यहां पर स्थापित किए जाते हैं।

    मंदिर में प्रतिदिन भजन संध्या का आयोजन होता है। त्‍योहारों में मंदिर परिसर में भक्तिमय भजन की आवाज से मन प्रफुल्लित हो जाता है। मंदिर में प्रतिदिन दोनो पहर भंडारे का आयोजन किया जाता है। धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन मंदिर में होते रहता हैं। जगराते का आयोजन मंदिर परिसर मे किया जाता है, जिसमें प्रसिद्ध कलाकार एवं भजन मंडलिया शामिल होती हैं।

    यदि आप छिन्‍दवाड़ा या आसपास है और एक दिन के किसी भक्तिमय और शांतिपूर्ण स्‍थान पर जाने का सोच रहे है तो यहां जरूर जाये। माता के दर्शन कर स्‍वयं को धन्‍य करें। पूरे मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से भी भक्‍त मां हिंगलाज के दर्शन के लिये यहां आते हैं।

    मंदिर परिसर विशाल, सुव्यवस्थित व स्‍वच्‍छ होने के कारण श्रद्धालु परिवार या दोस्‍तों के साथ आते है। कई पारिवारिक और अन्‍य ग्रुप यहां पिकनिक मनाते हुए नजर आते हैं। यह भक्तिमय स्थान, सुंदर मंदिर, विशाल प्रांगण, बगीचा, हरियाली आदि से परिपूर्ण स्‍थान मन को असीम शांति प्रदान करता है। यहां बैठने के लिए भी उचित व्‍यवस्‍था है। मंदिर परिसर साफ व स्‍वच्‍छ रहता है, आप भी जब जाये तो स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखे।

    मंदिर परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। पेयजल की व्यवस्था मंदिर परिसर में है। परिसर में जूते रखने की व्यवस्था है।

    हिंगलाज मंदिर में पार्किंग की व्‍यवस्‍था है। मंदिर के बाहर भी प्रसाद की दुकान है, साथ ही नाश्‍ते की दुकाने भी है। घरेलू सामग्री व खिलौनों की दुकानें भी यहां हैं।

    छिंदवाड़ा से लगभग 39 किलोमीटर दूर मां हिंगलाज देवी का पावन दरबार स्थित है। छिन्‍दवाड़ा से परासिया, चान्‍दामेटा, बरकुही, इकलेहरा होते हुए अंबाड़ा के पास हिंगलाज माता मंदिर है। आप अपने स्‍वयं के वाहन से इस जगह तक आसानी से पहुंच सकते हैं। आप यहां टैक्सी या ऑटो से भी आ सकते हैं।

    यह क्षेत्र कोयला खदानों के लिए भी जाना जाता है। मंदिर के रास्‍ते और आगे बढ़ने पर आप कोयले की खदानों को देख सकते हैं।

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