श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा चौरई
जिला छिंदवाड़ा
Shri Shashthi Devi Siddha Peeth Kapurda Chaurai
District Chhindwara
कपुर्दा माता मंदिर
कुएं से प्रकट हुई मां की प्रतिमा
इस मंदिर में यह मान्यता है कि मंदिर के समीप स्थित कुऐं से सन् 1923 में माता की प्रतिमा अवतरति हुई है। बताया जाता है कि माता ने अपने भक्त के स्वप्न में आकर उनके वहां होने के बारे मे बताया था। उसके बाद प्रतिमा को निकालकर स्थापना की गई है। यहां से कुल छह मूर्तियां निकली थीं। तीन एक साथ और तीन अलग-अलग मूर्तियां थीं। माता की प्रतिमा को पहले मढ़िया में स्थापित किया गया और आज इस स्थल पर माता का विशाल मंदिर है। इसके पश्चात यहां पर हजारों की संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
इस कुऐं में स्नान करने का बहुत महत्व है। इस कुऐं में स्नान के लिए बहुत भीड़ रहती है। जिन कपड़ों में स्नान किया जाता है, उन कपड़ों को वही छोड़ दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कपड़ों को छोड़ने के बाद रोग, दोष या बाधाएं माता रानी दूर कर देती है।
इस मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना सन् 1940 में श्रीवास्तव परिवार के द्वारा की गई है।
मैली माता मंदिर कपुर्दा
संतान प्राप्ति
श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा मंदिर में आकर भक्तगण सूनी गोद को भरने और संतान सुरक्षा की मन्नत मांगते हैं। माता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। मन्नत पूरी होने पर भक्त परिवार सहित आकर श्री षष्ठी देवी माता के दरबार में शीश झुकाते हैं और बच्चों के वजन बराबर गुड़ सहित अन्य प्रसाद चढ़ाते है।
श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा मंदिर में भक्तगण शादी के लिए भी अर्जी लगाते हैं और फिर शादी हो जाने के पश्चात् जोड़े सहित माता के दर्शन हेतु आते हैं। बच्चों की बधाइयां, मुंडन, शादी की बधाइयां और कुटुंबिक पूजा अर्चना माता के दरबार में रोज होती है। मंदिर परिसर में भक्त मन्नत के धागे बांधते हैं।
गुड़ का प्रसाद
श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा धाम में भक्तों की मन्नत पूरी होने पर भक्त बच्चे या जिसके नाम पर मन्नत मांगी जाती है, उनके वजन के बराबर या उससे अधिक गुड़ का प्रसाद चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि इस प्रसाद को चढ़ाने वाले भक्त के घर परिवार के लोग नहीं खाते, इसे मंदिर में मौजूद भक्तों में बांटा जाता है।
श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा धाम में नवरात्रि के दिनों में मेला लगता है। बडी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां पर नवरात्र के पावन अवसर पर हजारों की संख्या में मंगल कलश भी रखे जाते हैं। चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र या फिर गुप्त नवरात्र यहां पर भक्तों की कतार लगी ही रहती है। नवरात्र के अलावा भी वर्ष भर बड़ी संख्या में मंदिर परिसर भक्तों से भरा रहता है।
इस मंदिर की कई विशेषताएं है, जो इस मंदिर को अपने आप में खास बना देती है। इस मंदिर में पूरी आस्था के साथ सच्चे मन से माता रानी से अपनी मन्नत मांगने वाले भक्त की मुराद माता रानी अवश्य पूरी करती है और दुखो को हरती है। मंदिर की प्रसिद्धि के चलते षष्ठी माता मंदिर कपुर्दा धाम में दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। भक्तगण अपनी मनोकामनाओं को लेकर माता के मंदिर में जाकर देवी मां के दर्शन कर वैभव सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।
श्री षष्ठी देवी सिद्ध पीठ कपुर्दा में हर मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते है। यहां दोनों दिन मेले जैसा माहौल प्रतीत होता है। ऐसा माना जाता है कि मंगलवार और शनिवार को मां के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है। श्री षष्ठी माता मंदिर कपुर्दा मे माता जी की फोटो लेना मना है।
कपुर्दा
छिंदवाड़ा जिले के चौरई क्षेत्र के कपुर्दा नामक गांव में माता षष्ठी का सिद्धपीठ धाम है। यह मंदिर षष्ठी माता मंदिर कपुर्दा के नाम से जाना जाता है। कपुर्दा गांव में विराजमान होने के कारण लोग कपुर्दा माता भी कहते है। यह छिंदवाड़ा जिले का बहुत ही प्रख्यात माता रानी का मंदिर है। कपुर्दा धाम की ख्याति न केवल छिंदवाड़ा, बल्कि पूरे देश में है।
मंदिर परिसर मे पूजन सामग्री मिल जाती है। साथ ही खिलौनो और नाश्ते की दुकान भी यहां है। मंदिर परिसर मे पानी भी उपलब्ध है। गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था भी की गई है।
इस मंदिर में मध्यप्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से भी भक्त मातारानी के दर्शन के लिए आते है।
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