देवरानी दाई, छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश
Devrani Dai Temple, Chhindwara
Devrani Dai Waterfall, Chhindwara, Madhya Pradesh
देवरानी दाई | Devrani Dai
छिंदवाड़ा जिले के देवरानी दाई मंदिर का अपना महत्व है। यह स्थान मंदिर और जलप्रपात के लिए जाना जाता हैं। मान्यता है कि देवरानी दाई मंदिर में मातारानी के दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। देवरानी दाई पहाड़ों और जंगल के बीच सुंदरता और श्रद्धा का अद्भुत संगम स्थल है। यहां का झरना और प्रकृति इस स्थान को बहुत ही आकर्षक बनाती है। देवरानी दाई जलप्रपात यहां एक प्राकृतिक कुंड का निर्माण करता है। इस स्थान पर ऐसा लगता जैसे हम प्रकृति की गोद में है। जंगल के बीचो-बीच प्रकृति के अद्भुत दृश्य, सुंदर, मनमोहक नजा़रे को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है।
देवरानी दाई मंदिर | Devrani Dai Temple
छिंदवाड़ा जिले के परासिया तहसील के पास पगारा नामक गांव से कुछ दूरी पर जंगलों के बीच देवरानी दाई का मंदिर है। देवरानी दाई मार्ग पर कुछ दूरी पर आपको एक प्रवेश द्वार दिखाई देता है। यहां पहुंचने पर आपको सबसे पहले माता रानी के मंदिर के दर्शन होते हैं। मंदिर में माता रानी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। इस स्थान पर बाबा भोलेनाथ का मंदिर भी है। नवरात्री के समय भक्तो की भीड़ यहां रहती है। मान्यता है कि माता अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
देवरानी दाई वॉटरफॉल | Devrani Dai Waterfall
देवरानी दाई में घटामाली नदी पर देवरानी दाई जलप्रपात है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 20 - 25 फीट है। देवरानी दाई मंदिर से नीचे की ओर नदी है। नीचे जाने के लिए सीढ़ियां हैं, सीढि़यों से उतरकर नदी तक पहुंचते हैं। यहां आपको कुंड और जलप्रपात का सुंदर दृश्य दिखता है। घटामाली नदी एक कुंड में गिरती है। इस कुंड के बारे में कई किंबदंती प्रसिद्ध है।
घने जंगलो और विशाल पहाड़ों के बीच बहने वाली घटामाली नदी आगे जाकर पेंच नदी में मिल जाती हैं। यहां का झरना बहुत सुंदर है। झरने से गिरते पानी की मधुर आवाज और आसपास की हरियाली मन को अपार शांति का अनुभव प्रदान करती है। कलकल बहती हुई नदी और ऊंचाई से गिरती पानी की धारा बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगती है। इस स्थान पर एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। चारों ओर दिव्यता और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम दिखाई पड़ता है।
देवरानी दाई किंबदंती
देवरानी दाई में कई किंबदंती प्रसिद्ध है। ऐसा बताया जाता है कि यहां पर सोने की नथ पहने हुए एक मछली थी। रोचक किंबदंती है कि यहां स्थित कुंड में एक महिला गिर गई थी। उसी दौरान उसी के परिवार की एक अन्य महिला वहां पहुंची तो उसने वहां सोने की नथ पहनी एक मछली देखी। उन दोनो महिलाओं के बीच देवरानी और भाभी का रिश्ता था। इस कहानी के चलते इस कुंड का नाम देवरानी कुंड और मंदिर का नाम देवरानी दाई मंदिर पड़ा।
एक और कथा यहां के ग्रामीण द्वारा बताई गई कि एक आदमी को सपने में एक मछली दिखाई दी, जो कि बहुत ज्यादा ही बड़ी थी। उस मछली ने नाक में सोने का नथ पहना हुआ था। सपने में उसे ऐसा दिखाई दिया इसलिए उसने इस स्थान पर एक मंदिर बनवाया और यह मंदिर प्रसिद्ध हुआ। इन कथाओं में कितनी सच्चाई है ये तो हमें नहीं पता पर यह कथाएं कई सालों से प्रचलित है, इसलिए हम भी इनका सम्मान करते हैं, और आप तक पहुंचा रहे है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर के पास मौजूद कुंड में बड़ी नथ वाली मछली थी, जिसके दर्शन करने से लोगों के सारे दुख-दर्द दूर होने के साथ-साथ मनोकामनाएं भी पूरी होती थीं. तब से लेकर अब तक ये कुंड लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है, और इस मंदिर की पहचान देवरानी दाई मंदिर के नाम से होने लगी। आस्था का केंद्र बने इस मंदिर को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलति हैं।
देवी के मंदिर से जुड़ी हुई कई कथाएं कहानी प्रचलित है। जिनमें देवी के प्रति लोगों में अपार श्रद्धा है। इनमें से एक कहानी है खोए पशुओं को तलाशने की चमत्कारी कहानी। जब इस जंगल में पशु खो जाए तो मंदिर के समीप पेड़ पर पशुओं को बांधने वाली रस्सी जिसे गिरमा कहां जाता है, उसे बांध कर पशु को तलाशने निकलने पर चंद पलों में ही गुम हुआ पशु मिल जाता है। यही कारण है कि इस स्थान पर पेड़ पर कई गिरमें बंधे हुए मिल जाते हैं।
देवरीनी दाई में मेला
देवरानी दाई में कार्तिक पूर्णिमा के दिन से ही भक्तों और पर्यटकों का तांता लगना शुरू हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही विशाल मेले की शुरुआत हो जाती है। जो देवरानी दाई मेला के नाम से विख्यात है। श्रद्धालु यहां पहुंचकर मातारानी के दर्शन करते हैं, मेले का आनंद लेते है, जलप्रपात और हरियाली के बीच प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं। मेले के दौरान कई दुकानें यहां पर लगती है। देवरानी दाई का तट पर्यटको और भक्तों से भरा रहने लगता है। मेले में खाने-पीने की सामग्री के साथ ही खिलौनों की दुकानें भी लगती हैं। पूजा का सामान मिलता हैं। इस स्थान पर साल में दो बार मेला लगता है।
देवरीनी दाई पिकनिक स्पॉट
एक दिवसीय पिकनिक के लिए, दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताने के लिए यह बहुत ही उपयुक्त और सुंदर पिकनिक स्पॉट है। प्राकृतिक नजारों से भरा हुआ होने के कारण इस स्थान पर पर्यटकों का आना लगा रहता है। आप जब यहां पर आए तो खाने-पीने का सामान या फिर खाना बनाने का सामान लेकर आए। जंगल के करीब होने के कारण यहां सामान नहीं मिलते हैं। सतपुड़ा की पहाड़ियों पर इस पिकनिक स्पॉट का भरपूर आनंद लें परंतु गंदगी ना फैलाएं, प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखें।
फोटोग्राफी करने वालो के लिए यह स्थान उपयुक्त है। कई प्राकृतिक नजा़रो को आप अपने कैमरे में कैद कर सकते हो। यहां कई लोगो का आप फोटोग्राफी करते, सेल्फी लेते हुए देख सकते है।
कम से कम एक बार आप इस स्थान पर जरूर जाए। सामान्य दिनों में पूजन सामग्री की दुकानें मिल जाती हैं। इस स्थान पर आप दिन में ही आए क्योंकि जंगलो के बीच होने के कारण रात में जंगली जानवर भी कई बार इस स्थान पर आ जाते हैं।
गर्मी में यहां पानी बहुत कम होता है। बरसात के मौसम में या उसके बाद पानी पर्याप्त मात्रा में होता है। जुलाई से अक्टूबर तक देवरानी दाई जलप्रपात अत्यंत वेग से प्रवाहित होता है। दिसंबर माह तक इसका प्रवाह धीमा हो जाता है। देवरानी दाई से लगभग 1 किलोमीटर दूर नदी के रास्ते बादलभोई की गुफा है, जहां तक आप पैदल चलकर जा सकते हैं।
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