राघादेवी गुफा मंदिर छिंदवाड़ा | Raghadevi Mandir, Chhindwara MP

राघादेवी गुफा मंदिर छिंदवाड़ा

Raghadevi Mandir, Chhindwara MP

Place to visit in chhindwara

राघादेवी गुफा मंदिर छिंदवाड़ा | Raghadevi Mandir, Chhindwara MP

    राघादेवी

    मध्‍यप्रदेश का छिंदवाड़ा जिला सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसा हुआ हैं। छिन्दवाड़ा जिला अपनी अनूठी विविधता में समृद्ध तथा प्रकृति ने इसे अपनी अनुपम सौगातों से नवाजा है। सौंसर तहसील के बिछुआ विकासखंड में प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण प्राचीन व धार्मिक स्थल राघादेवी है। राघादेवी के पहाड़ी क्षेत्र में प्रचलित प्राचीन धार्मिक गुफा मंदिर हैं। यह गुफा अपने आप में अनेक रहस्य समेटे हुए है। समीप ही पश्चिम वाहिनी पवित्र नदी बहती है। इस आकर्षक प्राकृतिक स्थल पर भगवान शिव का मंदिर हैं। यह बड़ के बहुत बडे कई वर्ष पुराने पेड़ो से घिरा हुआ है। छिन्‍दवाड़ा जिले में राघदेवी शिवालय गुफा मंदिर सृष्टि और प्रकृति दोनों का अद्भुत संयोजन है। सिद्ध शिवलिंग के दर्शन करने सावन मास में बड़ी संख्या में शिव भक्त यहां पहुंचते हैं।

    राघादेवी में छोटा भेड़ाघाट

    यहां ग्राम राघादेवी विशाला में पश्चिम वाहिनी पवित्र देव नदी बहती है। इस नदी पर छोटा भेड़ाघाट के समान दृश्य है। इसलिये इस नदी के घाट को छोटा भेड़ाघाट के नाम से जाना जाता है। इस नदी पर पंचधारा का पानी एक कुंड में एकत्रित होकर निरंतर बहता रहता है। इस कुंड की विशेषता है कि नदी का प्रवाह कम होने पर भी कुंड में पानी का स्तर वर्षभर एक समान रहता है। यहां पर बहते झरने एवं पंचधारा का मनोरम दृश्य लोगों का मन मोह लेता है और मन को अपार शान्ति पहुंचाता है। बारिश में कई बार मंदिर के समीप नदी होती है। यहां के पंचधारा जलप्रपात के मनमोहक दृश्य से भक्त और पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते है।

    राघादेवी गुफा

    राघादेवी में पत्थरों के बीच नीचे की ओर एक प्राकृतिक गुफा है, जोकि बहुत गहरी है। भोलेनाथ की यह प्राकृतिक गुफा पंचधारा कुंड से लगभग एक किलोमीटर दूर है। राघादेवी गुफा हमें किसी अद्भुत लोक में ले जाती हैं। बताया जाता है कि यहां भक्तों की मुरादे पूरी होती है। गुफा में द्वार पर दो सीढ़ियां है। एक प्रवेश करने व दूसरी से बाहर आते हैं। सीढ़ियां बहुत खड़ी और उतरते समय फिसलन होती हैं, सावधानी पूर्वक नीचे जाये। गुफा करीब 100 फीट चौड़ी व 300 फीट लंबी है।

    गुफा में पंचमुखी नाग राज और हनुमान जी की प्राकृतिक मूर्ति है। गुफा में 45 फीट अंदर भगवान शिव के दर्शन होते हैं। प्राकृतिक शिवलिंग पर अनादि काल से निरंतर प्राकृतिक जलधारा शिवलिंग पर अभिषेक करती है। यह आश्चर्य ही है कि इतनी विशाल पहाड़ी में उसी स्थान पर पानी कैसे आता हैं। एक अन्य सुरंग की ओर प्राकृतिक शिवलिंग के ऊपर नागराज की प्राकृतिक आकृति है। यह गुप्तेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। श्री गुप्तेश्वर महादेव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शिवलिंग के ठीक ऊपर प्राकृतिक गुम्बज बना हुआ है। राघादेवी गुफा में दो शिवलिंग हैं। गुफा में कई जगह देवी-देवताओं की आकृतियां उभरी दिखाई देती है। बताया जाता है कि यहां प्राकृतिक रूप से निर्मित बारह ज्‍योर्तिलिंग भी है। परंतु वहां तक जाने का रास्‍ता बहुत संकरा है।

    राघादेवी गुफा में कही अंधेरा और कही निरंतर प्रकाश व्यवस्था है। यह लोगों को रोमांच से भर देता है। छोटे बच्चों को गुफा के अंदर न ले जाये तो बेहतर होगा। यदि बच्चों के साथ जा रहे हैं तो सावधान रहें।

    राघादेवी गुफा का इतिहास

    बताया जाता है कि राघादेवी गुफा की खोज लगभग 200 साल पहले हुई थी। पहले गुफा में जाने के लिए लोग पेड़ों की लताओं का सहारा लेकर नीचे जाते थे। बाद में लकड़ी और उसके बाद लोहे की सीढ़ियां लगाई गई। राघादेवी गुफा की मान्‍यता है कि, भस्मासुर की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उसे वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। वरदान मिलने के बाद भस्मासुर भोलेनाथ के सिर पर ही हाथ रखने लगा। तब भोलेनाथ ने राघादेवी की गुफा में शरण ली और फिर यहीं से सुरंग के माध्यम से बड़ा महादेव पहुंचे थे। कहते हैं यहां से एक गुफा है जो पचमढ़ी तक जाती है जो कि अब बंद हो चुकी है।

    इस स्‍थान पर एक महुआ का पेड़ है मान्यता है कि इस पेड को छूते ही सभी रोगों से मुक्‍ती मिल जाती हैं। इस पेड़ के आस-पास श्रद्धालुओ की भीड भी देखी जा सकती है।

    राघादेवी मेला

    राघादेवी में महाशिवरात्रि पर पांच दिवशीय मेले का आयोजन किया जाता हैं। शिवरात्रि पर लगने वाले मेले में दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र, नागपंचमी और शिवरात्रि में मेला लगता है। मेले में नाश्‍ते, खिलौनो के साथ ही विभिन प्रकार की दुकानें लगती हैं।

    छिंदवाड़ा में स्थित राघादेवी प्राकृतिक गुफा एवं शिवालय का दर्शन करने अवश्य जाये। पिकनिक के लिए यह अच्छी जगह है। आप पूरे परिवार के साथ या दोस्‍तो के साथ प्राकृतिक और धार्मिक स्‍थल घूमने जाना चाहते है तो यह स्‍थान उपयुक्‍त हैं। यहां पर नाश्‍ते की कोई दुकान नहीं है। अत: आप अपने साथ खाना और पीने का पानी लेकर आये। अगर आप यहां जाये तो राघादेवी के समीप स्‍थित मंदिर, पंचधारा और नदियों जैसे सभी स्थानों पर जाएं। यहां से कुछ दूरी पर पेंच नेशनल टाइगर रिजर्व हैं। बच्‍चो का ख्‍याल रखें। जब भी आप यहां या किसी भी स्‍थान पर जाये तो स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखें। गंदगी न फैलाये।

    राघादेवी गुफा के पहले शिवलिंग और नंदी प्रतिमा के दर्शन होते है। यहां से ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। यहां पर कई बड़े-बड़े प्राचीन बड़ के पेड़ भी हैं। इन्‍ही सीढि़यो से होते हुए गुफा तक पहुचते है। राघादेवी बहुत प्राचीन मंदिर और पवित्र स्थान है। यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं भी छिपी हुई है।

    राघादेवी मंदिर पहुंचने का मार्ग

    छिन्‍दवाड़ा से राघादेवी मंदिर की दूरी 61 किलोमीटर है।
    नागपुर से राघादेवी मंदिर की दूरी 96 किलोमीटर है।
    छिन्दवाड़ा-नागपुर मार्ग पर रामाकोना से पूर्व में 17 किलोमीटर दूरी पर राघादेवी मंदिर है। रामाकोना से देवी, बदोसा, लोहांगी, होते हुए प्राचीन राघादेवी गुफा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

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