चौरागढ़ महादेव मंदिर पचमढ़ी | Chauragarh Mahadev Temple Pachmarhi

चौरागढ़ महादेव मंदिर पचमढ़ी | Chauragarh Mahadev Temple Pachmarhi

चौरागढ़ महादेव मंदिर पचमढ़ी | Chauragarh Mahadev Temple Pachmarhi

    चौरागढ़ | Chauragarh

    भारतीय राज्‍य मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के अतंर्गत सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहाडी पर “चौरागढ़ मंदिर” स्थित हैं। यह  सतपुड़ा की रानी कही जाने वाली पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और खूबसूरत जगह में से एक है। यहां भगवान शिव का दरबार हैं। जिसे महादेव मंदिर के नाम से भी जाना है। समुद्र तल से लगभग 4200 फीट की ऊंचाई पर चौरागढ़ भगवान शिव की महिमा का गढ़ है। भक्ति और शक्ति का यह अद्भुत धार्मिक स्‍थल हैं। पहाड़ी पर घनी वादियों और जंगलों के बीच होते हुए रास्ता मंदिर तक जाता हैं। प्राचीन कथाओं से लेकर आधुनिक किंबदंतियो मे चौरागढ़ महादेव मंदिर का वर्णन मिलता है।

    चौरागढ़ मंदिर | Chauragarh Shiv Temple

    चौरागढ़ का मंदिर ऊंचे पहाड़ पर भगवान शिव जी को समर्पित एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यहां चौडेश्‍वर महादेव विराजमान हैं। पहाड़ पर होने के कारण आपको इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल जाना होता हैं। हरी-भरी घाटी और जंगलों के बीच हजारो सीढि़यों को चढ़कर ऊपर जाना पड़ता है। यह इस स्‍थान के आकर्षण में से एक है। श्रद्धालु भगवान भोले का नाम लेते हुए इस चढ़ाई को चढ़ते है। चोटी पर भगवान शिव का मंदिर है। मंदिर बहुत ही दिव्य है।

    जंगली क्षेत्र होने के कारण चारो ओर हरे-भरे पेड़, हरियाली तथा ऊपर की ओर जाने पर आपको प्रकृति के खूबसूरत नजा़रे देखने को मिलते है। बहुत से बंदर भी दिखते है। इनसे आप सावधान रहें।

    चौरागढ़ मंदिर बहुत अच्छा बन गया है। यहां भगवान शिव की बहुत आकर्षक प्रतिमा है। लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। यहां चौढ़ेश्वर महादेव का मंदिर, शिव मंदिर और गणेश जी का मंदिर भी हैं। मंदिर परिसर में बड़ी मात्रा में त्रिशूल देख सकते हैं। जोकि भक्‍तो द्वारा चढ़ाये जाते हैं। मंदिर के बाहर अगरबत्ती लगा सकते है और नारियल फोड़ सकते हैं। इस चोटी के चारों ओर का दृश्य बहुत ही सुंदर है। सीढि़यो और चट्टानो से ऊपर जाते समय जब दिव्‍य मंदिर का शिखर नजर आता है तब एक अद्भुत अनुभव होता हैं। प्रभु के दर्शन से सारी थकान दूर हो जाती हैं। यहां आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा।

    चौरागढ़ का इतिहास | History of Chauragarh

    चौरागढ़ मंदिर से जुडा अलौकिक इतिहास हैं। ऐसा बताया जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने यहां शरण ली थी।


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    कैसे पड़ा चौरागढ़ नाम

    यह किवदंती प्रचलित है कि इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई बर्षो तक एकांत में तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें दर्शन दिए। तब से इस पहाड़ी को चौरागढ़ के नाम से जाना जाने लगा। तत्‍पश्‍चात् भोलेनाथ के इस मंदिर का निर्माण किया गया।

    चौरागढ़ में त्रिशूल

    प्रसिद्ध चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल का काफी महत्व है। कहते हैं कि चौरागढ़ में महादेव अपना त्रिशूल छोड़ गए थे तब से लेकर यहां त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा बन गई है। चौरागढ़ महादेव मंदिर में श्रद्धालु मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर वे यहां आकर अपनी श्रद्धा अनुसार त्रिशूल भेंट करते हैं। भक्त त्रिशूल अपने कंधो पर लेकर कठिन चढ़ाई करके यहां पहुंचते है और भोले को त्रिशूल अर्पित करते हैं। मंदिर परिसर में कई त्रिशूल दिखते है, जो भक्तों द्वारा वर्षों से चढ़ाए जा रहे हैं। यह मंदिर यहां मौजूद त्रिशूलों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर छोटे से लेकर बडे त्रिशूल तक चढाये जाते है।

    चौरागढ़ में महाशिवरात्रि मेला

    महाशिवरात्रि पर्व पर चौरागढ़ में विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमें अपार जनसमूह उमड़ता हैं। यह पर्व बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आठ दिनो तक चलने वाले इस मेले में आसपास के जिलों सहित नजदीकी प्रदेशों से भी श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए यहां आते हैं। नाग पंचमी में भी मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां की वादियां बोल बम के जयकारों से गुंजायमान रहती हैं।

    चौरागढ़ से नीचे का नजारा पहाड़ की चोटी से नीचे का चारों तरफ का बहुत खूबसूरत मनमोहक दृश्‍य दिखाई देता है। यहां से सूर्यास्त और सूर्योदय का नजारा देखते ही बनता है। इस खूबसूरती का आनंद लेने के लिए भी कई पर्यटक यहां आते है। घने जंगल, घाटियो, विशाल वृक्षों और पहाड़ियों का शानदार नजारा देखने को मिलता है। सुंदर प्राकृतिक वातावरण मन को अपार शांति पहुंचाता है। चारों तरफ फैली हुई सतपुड़ा की विशाल चोटियां प्रकृति की विशालता का आभास कराती है, और यह दिखाती है कि हम आज भी प्रकृति का एक छोटा सा हिस्सा मात्र ही है।

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    यहां के इन खूबसूरत दृश्‍यों को अपने कैमरे में कैद करते हुए लोग दिखते है। आप भी यहां की खूबसूरती वदियों में फोटोग्राफी कर सकते है सेल्‍फी ले सकते हैं। और इन्‍हे यादगार बना सकते हैं।

    चौरागढ़ की यात्रा करने से पहले मन में अटूट श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ उत्साह का होना भी बहुत जरूरी है। ऊपर चढ़ते समय पानी की बोतल अपने साथ रखें। बुजुर्गो और छोटे बच्‍चो को न लाये तो बेहतर होगा। यदि वे आते है तो उनका बहुत ध्‍यान रखें। सहायता के लिए एक छड़ी भी साथ रखें। शीर्ष पर पहुंचने पर माहौल और दृश्य आपको बेहद प्रसन्नता का अनुभव कराते हैं। यह आउटिंग के लिए बहुत अच्छी जगह और शांतिपूर्ण जगह है। मंदिर में नि: शुल्क प्रवेश हैं।

    कब आये चौरागढ़

    यहां का मौसम पूरे वर्ष अच्छा रहता है, इसीलिए आप किसी भी समय चौरागढ़ मंदिर घूमने आ सकते है। हालांकि पचमढ़ी हिल स्टेशन जाने का सबसे सही समय अक्टूबर और जून के महीनों के बीच में होता है। छिन्‍दवाड़ा, होशंगाबाद के अलावा महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा श्रद्धालु महादेव मेला में चौड़ेश्‍वर महादेव के दर्शन करने आते हैं। कई श्रद्धालु भूराभगत तथा जुन्नारदेव पहली पायरी से यात्रा शुरू करते हैं।

    आप अपने परिवार के सदस्‍यो या दोस्‍तो के साथ यहां आ सकते हैं। जब आप पचमढ़ी पहुंचते हैं, तो आपको यहां से चैरागढ़ मंदिर तक जाने के लिए जीप या जिप्सी मिल जाती है। यहां आने पर कृपया स्‍वच्‍छता का ध्‍यान रखें, गंदगी न फैलायें।

    चौरागढ़ में दुकानें

    मेले के दौरान मंदिर के रास्ते में बहुत सी दुकानें लगी रहती है। नाश्‍ते, चाय, नींबू पानी, शरबत, फल, खाद्य पदार्थ, खिलौने और भी बहुत सारी दुकानें लगती हैं। मेले के समय में भंडारे का आयोजन भी होता है।

    चौरागढ़ के समीप दर्शनीय स्‍थल | Places to see near Chauragarh

    गुप्त महादेव, बी फॉल, प्रियदर्शिनी प्वाइंट, जटा शंकर गुफाएं, रजत प्रपात, पांडव गुफा, धूपगढ़, हांडी खोह, महादेव हिल्स, डचस झरना, सतपुड़ा नेशनल पार्क आदि प्रमुख दर्शनीय स्‍थल भी आप घूम स‍कते है।

    चौरागढ़ में होटल धर्मशाला | Hotel Dharamshala in Chauragarh

    चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी के पास स्थित है। इसलिए आप चौरागढ़ महादेव की यात्रा के दौरान पचमढ़ी में स्थित होटल में रूक सकते है। यहां पर सभी बजट की होटल है। मंदिर में एक धर्मशाला है जहाँ आप रह सकते हैं और आराम कर सकते हैं।

    कैसे पहुंचे चौरागढ़ | How to reach Chauragarh

    पचमढ़ी बस स्टैंड से लगभग 14 किमी की दूरी पर यह मंदिर है। मंदिर जाने के लिए पहले पचमढ़ी से 10 किलोमीटर का रास्ता वाहन से तय करना होता है। यहां से लगभग 3 किमी का पैदल रास्ता तय करने के बाद हजारो सीढ़ियो को चढ़कर आप मंदिर पहुंचते है।

    पचमढ़ी के लिए कोई सीधी रेल या फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। यहां से आप बस या अन्‍य किसी भी साधन से पिपरिया से पचमढ़ी तक की खूबसूरत वादियों का आनंद लेते हुए पहुंच जाते हैं। भोपाल और जबलपुर हवाई अड्डा पचमढ़ी के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है।

    आप अपने वाहन से भी पचमढ़ी आ सकते हैं। सड़क मार्ग से भी पचमढ़ी अच्छी तरह से कनेक्टेड है। चौरागढ़ मंदिर तक पहुंचने वाली सड़क बहुत खूबसूरत है। अगर आप अपने वाहन से यहां आते हैं तो गाड़ी सावधानीपूर्वक चलाऐ।

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