अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग, मोहगांव हवेली छिन्दवाडा | Ardhnarishwar Jyotirlinga, Mohgaon Haveli Chhindwara

अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग, मोहगांव हवेली छिन्दवाडा (म0प्र0) | Ardhnarishwar Jyotirlinga, Mohgaon Haveli Chhindwara

अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग, मोहगांव हवेली छिन्दवाडा (म0प्र0) | Ardhnarishwar Jyotirlinga, Mohgaon Haveli Chhindwara
मध्यप्रदेश में महाकालेश्‍वर और ओमकारेश्‍वर दो ज्‍योतिर्लिंग के साथ ही तीसरा अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग भी हैं। यह तीसरा ज्योतिर्लिंग छिंदवाड़ा जिले में सौंसर के पास मोहगांव में है। पुराणों के आधार पर इस ज्योतिर्लिंग को साढ़े बारहवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मोहगांव हवेली में अर्धनारीश्वर का अद्भुत मंदिर स्थित है। यहां भगवान भोलेनाथ अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में विराजमान हैं। जो सकल कामनाओं की पूर्ति करते है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित यह स्थल चार धाम, बारह ज्योतिर्लिंग तथा त्रिपुर सुंदरी के केन्द्र बिन्दु पर स्थित है। पुरातन काल से इस मंदिर की निर्माण संरचना एवं वास्तुकला महामृत्युंजय यंत्र आधारित है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस मंदिर में पहुंचते है।

शास्त्रों में उल्लेखित साढ़े बारह ज्योतिर्लिंगों के आधार पर, संक्षिप्त में बताया जाये तो, समुद्र तट पर दो, पर्वत शिखर पर चार, समतल क्षेत्र में तीन और नदी तट पर साढ़े तीन ऐसे साढ़े बारह ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि नदी के तट पर एक अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। तथ्यों के आधार पर देश के बारह ज्योतिर्लिंग को मिलाने वाली रेखा के केंद्र बिंदु पर मोहगांव का अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।

    मोहगांव हवेली अर्धनारीश्वर मंदिर | Mohgaon Haveli Ardhanarishwar Temple

    मोहगांव हवेली अर्धनारीश्वर ज्‍योतिर्लिंग मंदिर में गर्भगृह के चारों ओर तीन-तीन दरवाजे है। यह दरवाजे अलग-अलग ज्योतिर्लिंग के नाम पर हैं। यहां भगवान शिव और माता पार्वती का अद्भुत शिवलिंग है। मान्यता है कि यहां भक्तों कि हर मनोकामना पूरी होती हैं।

    सरपानी नदी तट

    शास्‍त्रानुसार साढ़े बारहवां ज्योतिर्लिंग सरपानी नदी के तट पर है। सरपानी नदी सांप के आकार में बहती है। पूरी नदी का आकार ओम जैसा हैं। ठीक वैसे ही मोहगांव में मंदिर के पश्चिम दिशा में सर्पा नदी है। जो सर्प के आकार में प्रवाहित होती है।

    मंदिर से दक्षिण-पूर्व दिशा में इस नदी में एक कुँड हैं, जोकि शिवलिंग आकार के समान हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने सर्पिणी नदी के तट पर तपस्या की थी। शुक्राचार्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्‍हें दर्शन दिये और भगवान उनकी इच्‍छानुसार अर्द्धनारिश्वर रूप में प्रकट हुए। तब से यहां पर अर्धनारीश्वर भगवान ज्योतिर्लिंग स्‍वरूप में विद्यमान हैं।

    चारधाम के नाम से दरवाजे

    छिंदवाड़ा के मोहगांव स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर में चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार हैं। यह चार प्रवेश द्वार चारों धाम द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और बद्रीनाथ धाम के प्रतीक है। इस मंदिर में गर्भ गृह के चारों तरफ 3-3 दरवाजे अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों के नाम से बने हुए हैं।

    आठवी शताब्दी में निर्मित इस मंदिर की संरचना एवं वास्तुकला महाम्रत्युन्जय यन्त्र पर आधारित है। मंदिर के तीन प्रदछिना पथ है। जिसमे पहले तथा दूसरे पथ के बीच बारह द्वार, बारह ज्योतिर्लिंग के प्रतिक है। दूसरे और तीसरे प्रदछिना पथ के बीच चार द्वार चार धाम के प्रतीक है। जिससे यहां बारह ज्योतिर्लिंग तथा चार धाम की यात्रा के पुण्य फल की प्राप्ति होती है। बारह ज्योतिर्लिंग भी यहां विद्यमान है।

    माना जाता है कि इस मंदिर के ज्योतिर्लिंग के दर्शन से 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है। यह सिद्ध पीठ के साथ ही मनोकामना पूर्ण करने वाला पवित्र स्थान है। दावा किया जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और प्रदक्षिणा से चारों धाम की यात्रा और 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है।

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    सूर्य की प्रथम किरण

    छिंदवाड़ा के मोहगांव हवेली में स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर कई मायनों में बहुत खास है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष माघ मास एवं कार्तिक मास में सूर्य भगवान स्‍वयं अपनी किरणों से भगवान का अभिषेक करते हैं।
    क्‍यों कहा जाता है अर्द्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग बताया जाता हैं कि इस शिवलिंग का आधा भाग काले और आधा भाग गौर वर्ण का है। जो भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के एक साथ विराजमान होने का प्रतीक है। इसलिए यह भगवान शिव का साढ़े बारहवां अर्द्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अलावा कई जगहों से श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते है।

    मोहगांव ज्‍योतिर्लिंग का इतिहास | History of Mohgaon Jyotirling

    मोहगांव हवेली में स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर परमार वंश के समय का है। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य पूजा करने प्रतिवर्ष यहां आते थे। इतिहासकारों के अनुसार महामृत्युंजय यंत्र पर आधारित अर्द्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग में मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हेमांद्री पंत राजा ने कराया था। मंदिर का जीर्णोद्धार नागपुर के रघुजी राजा, देवगढ़ के राजा भोसले और राजा दलपत शाह ने किया। यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग दैत्य गुरु शुक्राचार्य के तप का परिणाम है। मंदिर के अत्यंत प्राचीन होने के प्रमाण भी मिलते हैं। यहां भगवान के कई भक्तों द्वारा तप किया गया। जिसमें अन्याजी महाराज, मुकंद महाराज एवं तीन महात्माओं की जीवंत समाधियां स्थापित है। इसलिए यहां की विशेषता और बढ़ जाती है।
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    मोहगांव ज्‍योतिर्लिंग में महाशिवरात्रि पर्व

    मोहगांव हवेली स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर भगवान शंकर का यह मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र होता है। सुबह से ही शिव भक्तों का तांता यहां लग जाता है। मंदिर में महाशिवरात्रि महोत्सव में भव्य मेले का आयोजन होता है। श्रावण के महीने में बड़ी संख्‍या में भक्त अभिषेक तथा पूजन हेतु मंदिर पहुंचते है। इस पर्व पर आकर्षक साज-सज्‍जा की जाती हैं।

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    कालसर्प दोष एवं इच्छित वर

    मोहगांव हवेली स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर के समीप साँप के समान आकार की सर्पणी नदी होने से यहाँ कालसर्प दोष निवारण पूजा से शीघ्रता से मुक्ति मिलती है। यह भी मान्यता हैं कि यह शिव एवं सती का संयुक्त स्थान होने से सोलह सोमवार का व्रत संकल्प करने से युवक/युवतीयों को इच्छित जीवन साथी की प्राप्ति होती है। भोलेनाथ का यह स्थान मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला हैं। यहां दूरदराज के प्रांतों से भी श्रद्धालु आते हैं।

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    मोहगांव ज्‍योतिर्लिंग का समय | Mohgaon Jyotirling Timings

    मोहगाँव स्थित अर्धनारेश्वर मंदिर का समय प्रतिदिन सुबह साढ़े चार से साढ़े दस बजे तक का हैं।

    मंदिर परिसर साफ एवं स्‍वच्‍छ है। आप भी यहां आये तो कृपया स्‍पच्‍छता का ध्‍यान रखें। पार्किंग के लिए भी पर्याप्त स्थान हैं। इस प्राचीन मंदिर का स्थान अद्वितीय है। यहां आप एक नई ऊर्जा का अनुभव करेंगे।

    मोहगांव हवेली अर्धनारीश्वर मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Mohgaon Haveli Ardhanarishwar Temple

    मोहगांव हवेली स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित हैं। यह मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सौसर तहसील में स्थित है।

    मोहगांव अर्धनारीश्वर मंदिर सौसर तहसील से 6 किमी की दूरी पर है।
    मोहगांव अर्धनारीश्वर मंदिर छिंदवाड़ा जिले से 62 किमी की दूरी पर है।
    मोहगांव अर्धनारीश्वर मंदिर नागपुर जिले से 75 किमी की दूरी पर है।

    यह क्षेत्र कुछ ही दूरी पर पहाड़ी श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। यह स्थान देखने लायक है। मोहगांव हवेली स्थित अर्धनारीश्वर मंदिर तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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