पातालेश्वर धाम शिव मंदिर छिंदवाड़ा | PATALESHWAR DHAM SHIV MANDIR CHHINDWARA MP
पातालेश्वर छिंदवाड़ा
भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिले का सबसे प्राचीनतम धाम पातालेश्वर शिव मंदिर हैं। छिंदवाड़ा जिले के इस अत्यंत सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल पातालेश्वर मंदिर में भगवान शिव पाताललोक से प्रकट हुए हैं। बताया जाता है कि यहाँ स्वयंभू शिवलिंग पाताल से प्रकट हाने के कारण मंदिर का नाम पातालेश्वर पड़ा। पातालेश्वर में स्वयंभू शिवलिंग है, इसे किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया है। भगवान शिव जी को समर्पित यह पातालेश्वर मंदिर छिंदवाड़ा जिले का सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। महाशिवरात्रि पर्व और सावन के अलावा हर सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहाँ आते है।
पातालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। मंदिर खुलने के पहले ही भक्त भोले के दर्शन के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते है। इस मंदिर कि कई मान्यताएं हैं, जो अपने आप में विशेष महत्व रखती हैं। पातालेश्वर धाम की ख्याति छिंदवाडा जिले में ही नहीं बल्कि दूर-दूर तक फैली हुई है। लोग यहाँ बड़े श्रद्धा भाव के साथ आकर प्रभु का पूजन अर्चन करते है। यह स्थल आध्यात्मिक और धार्मिक ऊर्जा का प्रमुख केंद्र है। पातालेश्वर मंदिर छिन्दवाड़ा के जागृत स्थल में से है।
पातालेश्वर का इतिहास
पातालेश्वर मंदिर का इतिहास करीब 250 वर्ष पुराना बताया जाता है। ढाई सौ साल पहले यहाँ घनघोर जंगल हुआ करता था। उस समय एक ब्रह्मचारी नागा साधु कुछ समय के लिए यहां आए थे। उन्होंने यहाँ धूनी रमाकर नित्य शिव शंकर की पूजा की। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि ब्रह्मचारी नागा साधु को भगवान शिव ने स्वपन में साक्षात दर्शन दिए थे, और साधु को अपने प्रगट होने के संकेत दिए थे। साधू को अपना अवतार लेने का रहस्य और प्रयोजन बताया। साधू ने प्रभु द्वारा प्राप्त संकेतों का पालन करते हुए निश्चित स्थान पर खुदाई करवाने पर शिवलिंग के दर्शन हुए। जिसकी विधिवत पूजन अर्चन कर स्थापना कराई गई।
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1008 बाबा श्री राज गिरी गोस्वामी ने भगवान शिव की सेवा करते हुए इसी परिसर में जीवित समाधि ली थी, जो आज भी यहां हैं। बताया जाता है कि प्राचीनकाल में यह स्थान चमत्कार का केंद्र था। यह नागाओं, पंडाओं, तांत्रिकों और साधकों का साधना स्थल भी रहा है। वे अपने शिष्य और यजमानों की समस्या के निवारण के लिए यहां विभिन्न तांत्रिक क्रियाएं और अनुष्ठान किया करते थे।
पातालेश्वर में मेला
छिंदवाडा के पातालेश्वर धाम में हर वर्ष सावन सोमवार और महाशिवरात्रि पर्व पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि और सावन माह में पातालेश्वर मंदिर में छिंदवाडा के अलावा दूर-दूर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोले के दर्शन करने आते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर अर्ध रात्रि से ही भक्त लाइन में आकर लग जाते है और बड़ी संख्या में दिन भर भक्तो का यहाँ आना लगा रहता है। देर रात तक दर्शन होते है। विशेष रात्रि कालीन आरती के पश्चात मेले की समाप्ति होती है।
मंदिर में हर साल इस पर्व पर विशेष साज-सज्जा और आकर्षक लाइटिंग की जाती है। यह आर्कषक साज-सज्जा व प्रकाश व्यवस्था देखते ही बनती है। महाशिवरात्रि पर्व पर यहां भक्तों का मेला लगता है। इस पावन पुनीत पर्व को बड़े ही शालीनता और गरिमामय वातावरण के साथ पूरी व्यवस्था का पालन करते हुए मनाया जाता है। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम, रेलवे, रेलवे पुलिस, बिजली वितरण कम्पनी के साथ ही सामाजिक संगठनों, भंडारा करने वाली समस्त समितियों का विशेष सहयोग भी इस मेले में होता है। मेले के लिए पातालेश्वर धाम प्रबंधकारिणी समिति द्वारा पर्याप्त इंतजाम किए जाते हैं।
सावन सोमवार
सावन सोमवार में छिंदवाड़ा के पातालेश्वर शिव मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने पहुचते हैं। भगवान का विशेष और आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। विशेष पुष्प, पान के पत्ते, मखाने, नीबुओं, सुंदर वस्त्रों आदि से भगवान भोलेनाथ का मनमोहक श्रृंगार किया जाता है। भगवान् का यह अद्भुत श्रृंगार श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है। सावन मास में प्रतिदिन अभिनव श्रृंगार तथा श्रावण मास के हर सोमवार को विशेष श्रृंगार किया जाता है। लोग सुबह से ही भगवान शंकर के दर्शन के लिए मंदिर में पहुंचने लगते हैं। सावन के पवित्र महीने में न सिर्फ छिंदवाडा जिले से बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए यहाँ पहुंचते हैं। वैसे तो साल भर इस मंदिर में लोगों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन के पवित्र माह में यह संख्या और भी बढ़ जाती है। सावन के महीने में शिवालय में पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है।
छिंदवाड़ा जिले का सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल पातालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के सोमवार को भक्त देर रात तक भगवान शिव का पावन दर्शन, पूजन, अर्चन और अभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित करते है। विशेष दिन में मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। आकर्षक साज-सज्जा व लाइटिंग और साउंड सिस्टम के साथ गर्भ गृह स्थित भगवान शिव का विशेष श्रृंगार, पूजन के साथ महाआरती का आयोजन किया जाता है।
बच्चों के साथ बडों के लिए भी आधुनिक खेल;कुछ नया सीखेंपीपल में देवी का वास
पातालेश्वर मंदिर में एक पीपल का पेड़ है। भक्तो के बीच यह मान्यता है कि इस पीपल के वृक्ष में देवी का वास है। यहां देवी रात्रि में भ्रमण करती हैं। बताया जाता है कि पायल कि मधुर आवाज से इस बात का आभास होता है।
पातालेश्वर में सोने की नथ पहने मछली
पातालेश्वर मंदिर के पास एक प्राचीन बावली है। बताया जाता है कि इस बावली में गंगा गिरी बाबा ने मछलियां पाली थी। इनमें से कुछ मछलियों को सोने की नथ पहनाई गई थी। जो लोगों को काफी आकर्षित करती थी। बताया जाता है कि इन मछलियों का शिकार करना पूर्वत: वर्जित था। बाबाजी की गैरमौजूदगी में किसी ने एक बार उनका शिकार कर लिया तो अगली सुबह वह मरा हुआ पाया गया। अभी भी यहाँ वावली तो है पर इसमें मछली नही है।
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मंदिर परिसर में आपको और भी कई छोटे मंदिर देखने के लिए मिल जाते हैं। मंदिर परिसर में शिवजी का मंदिर, हनुमानजी का मंदिर और कई छोटे मंदिर है। जिसमे शिवलिंग स्थापित है। आप यहां भगवान के दर्शन के साथ ही घूमने के लिए भी आ सकते हैं। आपको यहां पर आकर बहुत अच्छा लगेगा। आप अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ आ सकते हैं।
पातालेश्वर मंदिर छिंदवाड़ा में रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। आप यहां अपने वाहन से या पैदल भी आ सकते हैं।
PATALESHWAR SHIV MANDIR CHHINDWARA
Category: Hindu temple
Place Type: Religious Place of Worship
Address: Pataleshwar Road, near Railway Station, Triloki Nagar, Chhindwara
Pin: 480001
City: Chhindwara
State: Madhya Pradesh
Country: India
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